नमस्कार दोस्तों,
आज हम अपने मूल विषय ज्योतिष और वास्तु विज्ञानं से हटकर एक अन्य विषय जिसका शीर्षक है। जो होता है अच्छे के लिए होता है का विवेचन इस लेख माला में करेंगे ।
हमारे जीवन में बहुत सी ऐसी घटनाये घटित होते जो हमें सुख और दुःख दोनों का एहसास कराती है जब हम सुख में होते है तो हम यह चिंतन नहीं करते है की सुख कहा से आ रहा है या इसका कारन क्या है केवल उसको भोगते है और आनन्दित रहते है इसके विपरीत जब हम दुखी होते है तो उसका संताप करते है उसका कारन खोजते है और गंभीर चिंतन करते है की ऐसा क्यों हुवा कैसे हुवा इसका निवारण कैसे हो आदि ।
मेरा यह मानना है की जो होता है अच्छे के लिए होता है जो होगा वो भी अच्छा ही होगा ।
इस पर मेने एक बहु प्रचलित कथा भी सुन राखी है जो की में यहाँ संक्षिप्त में लिख रहा हूँ।
एक बार एक राजा था उसके हाथ की एक अंगुली तलवार से काट जाती है। राजा जब सभा में आता तो सभी दरबार मे उपस्थित दरबारी इस बात का बहुत अफ़सोस प्रकट करते है वही पर राजा द्वारा नगर के एक विद्वान ज्योतिषी को अपने दरबार में बुलाया जाता है और अपने साथ अप्रिय घटित होने का कारन पूछा जाता है तो ज्योतिषी ने कारण न बताकर केवल यही कहता है की राजन जो होता है उसमे भगवान की मर्जी शामिल होती है। इसलिए जो हुवा अच्छा ही हुवा ।
राजा ज्योतिषी की इस बात पर क्रोधित हो जाता है और अपने दरबारियों से कहकर उस ज्योतिषी को कारागार में डालने का हुकुम देता है दरबारी, राजा के हुकुम के अनुसार उस ज्योतिषी को कारागार में दाल देते है।
अगले दिन राजा शिकार के लिए जाता है तो वह जंगल में काफी दूर निकल जाता है। वही कुछ दुरी पर जंगली आदिवासियो का कबीला होता है। सारे आदिवासी मिलकर राजा को बंदी बना लेते है और उसे कबीले के सरदार के समक्ष प्रस्तुत करते है। सरदार हुकुम देता है की कबीले के कुल देवता को राजा की बलि चढ़ा दो यह सुनकर राजा की हालत खराब हो जाती है।
कुछ समय पश्चात राजा को कबीले के लोग बलि के लिए त्यार करने के लिए ले जाते सबसे पहले राजा को स्नान करवाया जाता है फिर बलिवेदी पर लिटाया जाता है।
उस कबीले का नियम होता है की कुलदेवता को जो बलि दी जाएगी वो मानव सम्पूर्ण होना चाहिए किसी भी अंगभंग की बलि नहीं दी जाएगी तो इस नियम की पलना हेतु बलि से पहले राजा के शरीर का मुआइना किया जाता है।
उस शारीरिक मुआइने में राजा की कटी हुयी अंगुली को देखकर राजा को अंगभंग मानव मानकर बलि निरस्त कर दी जाती है और राजा को बलिवेदी से उतारकर वापस जंगल में छोड़ दिया जाता है।
जब राजा अपनी जान की सलामती से खुश होकर वापस अपने राज्य की और आ रहा होता है तो उसे उस ज्योतिषी, जिसको उसने कारागार में दाल दिया की बात याद आती है की जो होता है अच्छे के लिए ही होता है ।यदि मेरी यह अंगुली कटी नहीं होती तो यह आदिवासी लोग मुझे बलि चढ़ा देते लेकिन मेरी इस कटी हुयी अंगुली ने मुझे बचा लिया।
अब तो राजा भी इस बात को मान गया की जो होता है अच्छे के लिए ही होता है। राजा ने अपने राज्य पहुंचकर अपने दरबारियों से कहा की उस विद्वान् ज्योतिषी को तुरंत कारागार से मुक्त करो और सम्मान सहित दरबार में प्रस्तुत करो।
राजा ज्योतिषी से अपनी गलती के लिए पैर पकड़ कर माफ़ी मांगता है और क्षमा याचना करता है ज्योतिषी फिर वही शब्द दोहराता है की राजन जो होता है अच्छे के लिए ही होता है ।यह कह कर वहा से नगर की और प्रस्थान कर लेता है।
।। जय श्री कृष्ण ।।
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