शनि और उनसे जुडी रोचक ज्योतिषीय जानकारी

नमस्कार दोस्तों,

आज हम शनि देव का जन्म, कार्य और उनसे जुडी रोचक ज्योतिषीय जानकारी का विवेचन करेंगे।

पौराणिक धर्म ग्रंथो के अनुसार शनि सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया का पुत्र है जब शनि छाया के गर्भ में थे तो छाया महादेव की अनन्त भक्ति में  लीन थी इसलिए अपने खाने पीने  का ध्यान नहीं रखने के कारण शनि का रंग काला  हो गया और जन्म के समय सूर्य भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किया गया

शनि न्यायधीश का कार्य करते है यानि पुरे ब्रह्माण्ड में वे अकेले दंडाधिकारी है मनुष्यो को उनके कर्म के अनुसार कर्मफल का दण्ड देना ही शनि का प्रमुख कार्य है

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माता पार्वती ने जब शनि को पूछा की तुम जातक के कर्म फल का दण्ड कैसे सुनिश्चित करते हो और उसकी कितनी अवधि के लिए करते हो तो प्रतिउत्तर में शनि ने कहा की मै सौ वर्षो तक जातक के कर्मफल का दंड सुनिश्चित करता हूँ और प्रत्येक जातक को मेरे द्वारा सुनिश्चित किया गया दण्ड या कर्मफल भुगतना ही पड़ता है।  जो कोई भी अन्याय करेगा उसको मेरे द्वारा दिया गया दण्ड भुगतना ही पड़ेगा।  जिन जातको के द्वारा  मानसिक वैचारिक कार्मिक पाप किया जायेगा चाहे जानकर या  अनजाने में  उसको उस पाप कर्म के  फल का भुगतान तो करना ही पड़ेगा।

नक्षत्रो  में  पुष्य , अनुराधा और उत्तराभाद्रपद  शनि के नक्षत्र है।

राशियों में मकर और कुम्भ राशि का स्वामी शनि होता है।

शनि तुला राशि में 20 अंश पर उच्च होता है और मेष राशि में 20 अंश पर नीच होता है।

सूर्य चंद्र मंगल आदि ग्रहो का परम शत्रु और शुक्र व् बुध का मित्र होता है एवं बृस्पति के लिए समभाव रखता है

शनि की धातु लोहा और रत्न नीलम होता है।

रोगविचार के अन्तर्गत वायु विकार व् शरीर में कम्पन आदि रोग शनि द्वारा प्रदत रोग होते है।

शनि के बारे में रोचक ज्योतिषीय तथ्य :  1   जिस जातक के प्रथम भाव में शनि विराजमान होता है उसका जीवन साथी सुन्दर होने के साथ साथ अनावश्यक जोर जोर से बोलने वाला होता है।

2  जिस जातक के द्वितीय  भाव में शनि विराजमान होता है उसका  अपने ही परिवार के सदस्यों के साथ मन मुटाव रहता है।

3 जिस जातक के तृतीय  भाव में शनि विराजमान होता है वह जातक अपने  ननिहाल के प्रति उदासीन रहता  है।

4  जिस जातक के चतुर्थ  भाव में शनि विराजमान होता है उसका  सम्पूर्ण जीवन नारकीय हो जाता है।

5  जिस जातक के  पंचम  भाव में शनि विराजमान होता है उसको संतान प्राप्ति में विलम्ब होता  है  ।

6  जिस जातक के षस्टम  भाव में शनि विराजमान होता है उसका  सम्पूर्ण जीवन भुल्कड़  हो जाता है  उसकी याददाश्त ही कमजोर कर देता है ।

                                                                      शेषभाग आनेवाली लेखमाला में. 


                                                                     ।। जय श्री कृष्ण ।।



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