नमस्कार मित्रो,
आप सभी ने कभी न कभी अपनी जन्म कुण्डली अवश्य देखी होगी । कुण्डली में 12 घर होते हैं । आज इन्ही 12 घरों का विवेचन करेंगे ।
पहला घर यह मंगल का घर होता है और इसमें आपका पुरे जीवन का वर्णन होता है ज्योतिषीय भाषा में इसको लग्न भी कहते हैं ।
दूसरा घर
यह शुक्र का घर होता हैं इससे आपका धन वैभव ऐश्वर्य और ससुराल पक्ष का निर्णय किया जाता हैं ।
तीसरा घर
यह बुध का घर होता हैं इससे आपका अपना परिवार व् भाई बहन के बारे में फलादेश किया जाता हैं ।
चौथा घर
यह चंद्र के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में माता व् वाहन के सुख का फलादेश देखा जाता हैं ।
पांचवा घर
यह सूर्य के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में संतान के सुख व् विद्या का फलादेश देखा जाता हैं ।
छठा घर यह बुध के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में शत्रु व् रोग का फलादेश देखा जाता हैं ।
सातवाँ घर
यह शुक्र के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में पत्नी व् कारोबार का फलादेश देखा जाता हैं ।
अष्टम घर
यह मंगल के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में धर्म कर्म व् मृत्यु का विचार किया जाता हैं ।
नवम घर
यह बृहष्पति के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में यात्रा व् भाग्य और विजय का विचार किया जाता हैं ।
दशम घर
यह शनि के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में राज्यपक्ष व् रोज़गार के सुख का फलादेश देखा जाता हैं ।
इग्यारहवा घर यह शनि के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में होने वाले लाभ आदि का विचार किया जाता हैं ।
बारहवाँ घर
यह बृहष्पति के आधिपत्य का घर होता हैं इससे आपके जीवन में अपवव्य व् खर्चो का विचार किया जाता हैं ।
मित्रो उपरोक्त ये सभी बारह घर आपकी कुण्डली में अलग अलग फलादेश लिए हुवे होते हैं प्रत्येक घर अपने आप में महत्वपूर्ण होता हैं जो हमारे पुरे जीवन चक्र को प्रभावित करता हैं और इन्ही घरो में अलग अलग राशियां व् ग्रह भी बैठे होते है जो हमारे जीवन पर पूर्ण नियंत्रण रखते हैं गोचर कल में जब कोई ग्रह अपने अधिपत्य वाले घर में आता है तो अपना पूर्ण प्रभाव दिखता हैं । योगकारक ग्रह होगा तो अच्छे प्रभाव दिखायेगा और मारक ग्रह होगा तो विपरीत परिस्थितयां पैदा करेगा । वस्तुतः हमारे जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव और लाभ हानि का होना ग्रह चाल के साथ साथ ही होता हैं ।
।। जय श्री कृष्ण ।।
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