नमस्कार मित्रो,
आज में आपको देव प्रोबोधनी एकादशी की मानव जीवन में महता पर प्रकाश डालने का प्रयास करूँगा ।
कार्तिक सुक्ला एकादशी को ही देव प्रोबोधनी एकादशी कहते हैं एक मान्यता के अनुसार भगवन विष्णु 4 माह की योग निद्रा से इसी दिन जाग्रत होते है ।
इस दिन भगवन विष्णु श्री हरि का सामर्थ्य अनुसार पूजन करना चाहिये और भगवन विष्णु को प्रस्सन करने का प्रयास करना चाहिए । इस दिन का व्रत करने से सैंकड़ो यज्ञ करने का पुण्य भगवन विष्णु की कृपा से स्वतः ही मिल जाता हैं ।
इस दिन व्रत करने के बाद यदि रात्रि में भगवन विष्णु का भजन कीर्तन भी किया जाये तो भगवन विष्णु का आशीर्वाद स्वतः ही प्राप्त हो जाता हैं ।
सर्व प्रथम इस एकादशी की कथा ब्रह्मा जी ने अपने पुत्र नारद् को सुनाई थी ।
इसके पश्चात भगवन नारायण ने द्वापर युग में श्री कृष्ण अवतार के समय भगवन श्री कृष्ण ने अपने श्री मुख से अपने प्रिय सखा अर्जुन को देव प्रोबोधनी एकादशी व्रत की कथा एवं विधि को विस्तार पूर्वक वर्णन किया था । इस एकादशी के व्रत के फल स्वरूप ही पांडवो में ज्येष्ठ युधिष्टर चक्रवर्ती सम्राट बने थे ।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको तुलसी पत्र चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनसे अत्यन्त प्रस्सन होते हैं ।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको अशोक पत्र चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनसे अत्यन्त प्रस्सन होकर उन प्राणियों को शोक रहित जीवन का वरदान देते हैं ।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको गुलाब के पुष्प चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनको मुक्ति प्रदान करते हैं ।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको कदम्ब चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनसे अत्यन्त प्रस्सन होकर उनको अपने विष्णु लोक में स्थायी निवास प्रदान करते हैं श्री हरि विष्णु जी को कदम्ब के पुष्प अत्यंत प्रिय होते हैं ।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको दूर्वा दल चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनसे अत्यन्त प्रस्सन होते हैं और उनको पूजन का सौ गुना फल देते हैं।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको चम्पक पुष्प चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनसे अत्यन्त प्रस्सन होकर उनको भव बंधन से मुक्त कर देते हैं ।
इस दिन जो प्राणी भगवन श्री विष्णु जी का पूजन कर उनको केतकी पुष्प चढ़ाते हैं श्री हरि विष्णु जी उनसे अत्यन्त प्रस्सन होकर उनके सभी पापो को नष्ट कर देते हैं ।
इस एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को अपने व्रत की पूर्ण सफलता हेतु ब्राह्मणों को दान पुण्य देना चाहिये ।
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जय श्री कृष्ण ।।
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