मंगल ग्रह


नमस्कार मित्रो,

आज की इस लेखमाला में हम मंगल ग्रह के बारे में सामान्य ज्योतिषीय जानकारी प्राप्त करेंगे। 




मंगल का  जन्म        : एक समय जब कैलाश पर्वत पर भगवान शिव समाधि में ध्यान लगाये बैठे थे, उस समय उनके ललाट से तीन पसीने की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं। इन बूंदों से पृथ्वी ने एक सुंदर और प्यारे बालक को जन्म दिया, जिसके चार भुजाएं थीं और आभा रक्त वर्ण  की  थी। इस पुत्र का  पृथ्वी ने पालन पोषण करना शुरु किया। तभी भूमि का पुत्र होने के कारण यह भौम कहलाया।


ज्योतिष में मंगल ग्रह  :  भारतीय ज्योतिष में मंगल ग्रह को प्रथम  श्रेणी  का हानि कारक  ग्रह माना जाता है। यह मेष राशि एवं वृश्चिक राशि का स्वामी होता है। इसके अलावा मंगल मकर राशि में उच्च भाव में तथा कर्क राशि में नीच भाव में कहलाता है। सूर्य, चंद्र एवं बृहस्पति इसके सखा या शुभकारक ग्रह कहलाते हैं एवं बुध इसका विरोधी ग्रह कहलाता है। शुक्र एवं शनि अप्रभावित या सामान्य रहते हैं।


मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व मंगल ग्रह शारीरिक ऊर्जा, आत्मविश्वास और अहंकार, ताकत, क्रोध, आवेग, वीरता और साहसिक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। यह रक्त, मांसपेशियों और अस्थि मज्जा पर शासन करता है। मंगल लड़ाई, युद्ध और सैनिकों के साथ भी जुड़ा हुआ है।

मंगल के नक्षत्र : मृगशिरा, चित्रा एवं  धनिष्ठा। 

मंगल से संबंधित वस्तुएं :  पीतल धातु, मूंगा, आदि। इसका तत्त्व अग्नि होता है 

मंगल से संबंधित दिशा यह दक्षिण दिशा का अधिपति  है।

मंगल मंत्र  :    भौम भौमाय नमः

मंगल के अस्त्र  : त्रिशूल, गदा, पद्म और भाला
मंगल की जीवनसाथी  :  ज्वालिनी देवी
मंगल की सवारी  : भेड़

मंगल प्रधान जातक की शारीरिक बनावट एवं स्वभाव - जन्म कुंडली में लग्न भाव में मंगल ग्रह व्यक्ति के चेहरे में सुंदरता एवं तेज़ लाता है। व्यक्ति उम्र के हिसाब से युवा दिखाई देता है। यह जातक को पराक्रमी, साहसी और निडर बनाता है। लग्न में मंगल के प्रभाव से व्यक्ति अभिमान भी होता है। वह किसी प्रकार के दबाव में रहकर कार्य नहीं करता है। शारीरिक रूप से व्यक्ति बलवान होता है। व्यक्ति का स्वभाव क्रोधी होता है। ऐसे जातकों की सेना, पुलिस, इंजीनियरिंग क्षेत्र में रुचि होती है। मंगल का लग्न भाव होना मंगल दोष भी बनाता है।

बली मंगल के प्रभाव - मंगल की प्रबलता से व्यक्ति निडरता से अपने निर्णय लेता है। वह ऊर्जावान रहता है। इससे जातक उत्पादक क्षमता में वृद्धि होती है। विपरीत परिस्थितियों में भी जातक चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करता है और उन्हें मात भी देता है। बली मंगल का प्रभाव केवल व्यक्ति के ही ऊपर नहीं पड़ता है, बल्कि इसका प्रभाव व्यक्ति के पारिवारिक जीवन पर पड़ता दिखाई देता है। बली मंगल के कारण व्यक्ति के भाई-बहन अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति करते हैं।

पीड़ित मंगल के प्रभाव - यदि मंगल ग्रह कुंडली में कमज़ोर अथवा पीड़ित हो तो यह जातक के लिए समस्या पैदा करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। पीड़ित मंगल के कारण जातक के पारिवारिक जीवन में भी समस्याएं आती हैं। जातक को शत्रुओं से पराजय, ज़मीन संबंधी विवाद, क़र्ज़ आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मंगल से संबंधित रोग - कुंडली में मंगल पीड़ित हो तो व्यक्ति को विषजनित, रक्त संबंधी रोग, कुष्ठ, ख़ुजली, रक्तचाप, अल्सर, ट्यूमर, कैंसर, फोड़े-फुंसी, ज्वार आदि रोक होने की संभावना रहती है।

मंगल से संबंधित कार्यक्षेत्र - सेना, पुलिस, प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक संबंधी, इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स आदि।

मंगल से संबंधित उत्पाद - मसूर दाल, रेल वस्त्र, ज़मीन, अचल संपत्ती, विद्युत उत्पाद, तांबें की वस्तुएँ आदि।

मंगल से संबंधित स्थान - आर्मी कैंप, पुलिस स्टेशन, फायर बिग्रेड स्टेशन, युद्ध क्षेत्र आदि।

मंगल से संबंधित पशु पक्षी - मेमना, बंदर, भेड़, शेर, भेड़िया, सूअर, कुत्ता, चमगादड़ एवं सभी लाल पक्षी आदि।

मंगल से संबंधित जड़ - अनंत मूल।

मंगल से संबंधित रत्न - मूंगा।

मंगल से संबंधित रुद्राक्ष - तीन मुखी रुद्राक्ष।

मंगल से संबंधित यंत्र - मंगल यंत्र।

मंगल से संबंधित रंग - लाल।

मंगल ग्रह की शांतिमंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार का व्रत धारण करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा मंगल से संबंधित निम्न  मंत्रों का जाप करें-

मंगल का वैदिक मंत्र -
अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्।
अपां रेतां सि जिन्वति।।

मंगल का तांत्रिक मंत्र -
अं अंङ्गारकाय नम:

मंगल का बीज मंत्र -
क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

मित्रो इस लेखमाला में मेने आपकी जानकारी में वृद्धि के लिए मंगल ग्रह से सम्बंधित सभी मुलभुत जानकारियों का समावेश किया है।  

                         । जय श्री कृष्ण 

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