ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना जाता है। कुण्डली में चंद्रमा दोषपूर्ण है या अशुभ स्तिथि में है तो जातक को चिन्ता और बेचैनी तथा मन की अशांति की भयानक स्तिथि में जीवन यापन करना पड़ता है।
चंद्रमा का प्रभाव पृथ्वी पर पूर्णिमा को अत्यधिक रहता है।
मनुष्यो में मानसिक रोगों का कारण अधिकतर चंद्रमा का दुषित होना पाया जाता है क्योंकि चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता हैं।
नीचे कुछ मुलभुत उपाय दिए जा रहे है जिनसे दुषित या अशुभ चंद्रमा की स्तिथि में सुधार किया जा सकता हैं:-
1 अशुभ चंद्रमा वाले जातक को भगवान भोलेनाथ की शरण में जाना चाहिए। महादेव की भक्ति करनी चाहिए साथ ही सोमवार का व्रत नियमपूर्वक करना चाहिये।
2 रात को सोते समय पानी या दूध को अपने सिरहाने के पास रखकर सोये और सुबह उसको कीकर के पेड़ की जड़ में डाल दे।
3 शुद्ध मोती चांदी में धारण करना चाहिए।
4 चावल या दही को धर्म स्थान में प्रति सोमवार को दान करना चाहिये।
5 यदि चंद्रमा षष्टम घर में हो या रोगेश हो तो दूध और पानी का दान कदापि न करे।
6 यदि चंद्रमा व्ययस्थान का मालिक हो या व्ययस्थान में विराजमान हो तो धर्मात्मा को अन्न और दूध का दान करने से बचना चाहिये।
7 जनेऊ और सफ़ेद वस्त्र का दान अपने कुल गुरु ब्राह्मण को सोमवार को करना चाहिये।
8 शुद्ध चांदी के दो टुकड़े लेकर सोमवार के दिन प्रातःकाल में किसी नदी या सरोवर पर जाकर एक चाँदी का टुकड़ा पानी में विसर्जित कर दे और दूसरा सदैव अपने पास रखे।
9 अपने कुल की ममतामयी स्त्रियों की सेवा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
10 अपनी स्वयं की माता की चरणों की धूल अपने मस्तक पर लगाये और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे।
11 अपने घर का वायव्य कोण वास्तु सम्मत रखे।
12 अपने पूर्वजो का श्राद्ध कर्म विधिपूर्वक करे।
13 अपने परिवार के सदस्यों के साथ मैत्री भाव रखे।
14 अपने घर के जल भण्डारण स्थान को वास्तु सम्मत करे।
15 सफ़ेद पुष्प और चीनी अपने पितृगणों के निमित्त दान करे।
उपरोक्त उपाय चंद्रमा की अशुभ स्तिथि में सुधार के लिए है। आपके लिए कोनसा उपाय सटीक रहेगा इसके लिए आप कुण्डली विशेषज्ञ को कुण्डली दिखाकर ही उपाय करेंगे तो आपको उत्तम फल की प्राप्ति होगी क्योंकि सभी उपाय सभी के लिए सटीक नहीं हो सकते है कुछ का फल विपरीत भी हो सकता है।
इसलिए सावधानी पूर्वक धैर्य से सतचित हो कर उपाय करे।
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