लग्न स्थान से लेकर व्यय स्थान में मंगल का प्रभाव किस स्थान में अधिक फलदायी होता है। यहाँ पर मै आपको लग्न से द्वादश स्थान अनुसार मंगल किस स्थान में अधिक फलदायी और प्रभावशाली होता है इसकी जानकारी दे रहा हूँ।
लग्न स्थान : उधोग में आकर्षित रहता है। पुलिस सेवा के लिए श्रेष्ठ होता है।
द्वितीय स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को व्यसनी बनता है। जल्दी अमीर बनने के लिए जातक जुवा लाटरी शेयर मार्किट में धनोपार्जन का रास्ता ढूंढता है।
तृतीय स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को पराक्रमी बनता है परन्तु यदि राहु साथ हो तो सब निष्फल कर देता है।
चतुर्थ स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को सभी सुख और सम्पतिशाली बनाता है परन्तु स्वयं की सन्तति में बाधा करता है।
पञ्चम स्थान : इस स्थान का मंगल यदि मकर राशि का हो तो ठीक होता है अन्य राशियों का अशुभ फल प्रदान करता है।
षस्टम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को शत्रुजीत बनाता है राजसेवा के साथ साथ ज्ञानियों का तिरस्कार करवाता है।
सप्तम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक के स्त्रीसुख में कमी करता है।
अष्टम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को नेत्र रोगी बनाता है। ऐसा जातक शत्रुओ से भयभीत रहता है।
नवम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को हिंसक अधर्मी बनाता है। ऐसा जातक कानून और नियमो को नहीं मानता है।
दशम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को शूरवीर प्रधान लोक सेवक मन्त्री आदि बनाता है।
एकादश स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को धनवान पुत्रवान सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण बनाता है।
द्वादश स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को धर्महीन पथभ्रष्ट और आपराधिक प्रवर्ति वाला बनाता है।
मित्रो आप अपनी कुण्डली में मंगल के स्थान की जानकारी प्राप्त करके लग्न से द्वादश स्थान के अनुसार मंगल आपके लिए प्रभावशाली और शुभ फलदायी है या नहीं इसकी जानकारी स्वयं कर सकते है।
लग्न स्थान : उधोग में आकर्षित रहता है। पुलिस सेवा के लिए श्रेष्ठ होता है।
द्वितीय स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को व्यसनी बनता है। जल्दी अमीर बनने के लिए जातक जुवा लाटरी शेयर मार्किट में धनोपार्जन का रास्ता ढूंढता है।
तृतीय स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को पराक्रमी बनता है परन्तु यदि राहु साथ हो तो सब निष्फल कर देता है।
चतुर्थ स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को सभी सुख और सम्पतिशाली बनाता है परन्तु स्वयं की सन्तति में बाधा करता है।
पञ्चम स्थान : इस स्थान का मंगल यदि मकर राशि का हो तो ठीक होता है अन्य राशियों का अशुभ फल प्रदान करता है।
षस्टम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को शत्रुजीत बनाता है राजसेवा के साथ साथ ज्ञानियों का तिरस्कार करवाता है।
सप्तम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक के स्त्रीसुख में कमी करता है।
अष्टम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को नेत्र रोगी बनाता है। ऐसा जातक शत्रुओ से भयभीत रहता है।
नवम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को हिंसक अधर्मी बनाता है। ऐसा जातक कानून और नियमो को नहीं मानता है।
दशम स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को शूरवीर प्रधान लोक सेवक मन्त्री आदि बनाता है।
एकादश स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को धनवान पुत्रवान सभी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण बनाता है।
द्वादश स्थान : इस स्थान का मंगल जातक को धर्महीन पथभ्रष्ट और आपराधिक प्रवर्ति वाला बनाता है।
मित्रो आप अपनी कुण्डली में मंगल के स्थान की जानकारी प्राप्त करके लग्न से द्वादश स्थान के अनुसार मंगल आपके लिए प्रभावशाली और शुभ फलदायी है या नहीं इसकी जानकारी स्वयं कर सकते है।
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