दिनाक 08 अप्रैल 2020 चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। हनुमान को मंगलवार और शनिवार दोनों ही दिन अतिप्रिय होते है । इस बार हनुमान जन्मोत्सव बुधवार को आया है और कोरोना वायरस के कारण सभी देवालय बंद है इसलिए इसबार का हनुमान जन्मोत्सव आप अपने घर पर रहकर मारुति नन्दन की विधिवत रूप से आराधना करे।
हनुमान जी के जन्म की कथा :- हनुमान जी की माता का नाम अंजनी था । एक बार उसने एक बन्दर को एक पैर पर खड़े होकर तपस्या करते देखा तो कोतुहल वश उन्होंने उस बन्दर पर एक फल फेंका जिसके कारन उसकी तपस्या भंग हो गयी और वह बन्दर ऋषि वेश में बदल गया और क्रोधित होकर उसने अंजना को श्राप दे दिया की जब भी तुम्हे किसी पुरुष से प्रेम होगा तो तुम बन्दरिया बन जाओगी और तुम्हे बन्दर से ही विवाह करना होगा । अंजना के अनुनय विनय करने पर ऋषि ने कहा की तुम्हारा पुत्र जो होगा वो महान प्रतापी शक्तिशाली सभी विद्याओ का ज्ञाता और भगवान महादेव का अंश होगा ।
कुछ समय पश्चात अंजना को प्रेम का अंकुर फूटा और वह बन्दरिया बन गयी । बन्दरिया बनने के बाद अंजना की मुलाकात केसरी नाम के वानर से हुयी। जिसका मुख मनुष्य की तरह था और शरीर वानर का था अंजना ने केशरी के विवाह किया और भगवान महादेव की तपस्या में लीन हो गयी और भगवान महादेव जैसे पुत्र प्राप्ति की साधना में लग गयी ।
उधर अयोध्या में राजा दशरथ जी पुत्र प्राप्ति हेतु पुत्रकामेष्ठि यज्ञ सम्पूर्ण किया । यज्ञ की सम्पूर्णता पर यज्ञ के देवताओ ने राजा दशरथ को हलुवे का प्रसाद दिया और यह प्रसाद अपनी रानियों में वितरित करने को कहा उसमे से एक प्रसाद का पात्र पवन वेग से उड़कर अंजना के हाथो में आ कर गिरा जिसको अंजना ने महादेव का प्रसाद समज कर ग्रहण कर लिया । प्रसाद ग्रहण करते ही अंजना को अपने उदर में गर्भ का आभाष हो गया ।
इसके पश्चात उन्होने हनुमान जी को जन्म दिया। भगवान हनुमान को वायुपुत्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि हवा चलने के कारण ही वह हलुवा, माता अंजनी की कटोरी में आकर गिरा था। भगवान हनुमान के जन्म लेते ही माता अंजना अपने शाप से मुक्त होकर वापस स्वर्ग चली गई। भगवान हनुमान सात चिरंजीवियों में से एक हैं और भगवान श्रीराम के भक्त थे। रामायण की गाथा में उनका स्थान हम सभी को पता है ।
इसलिए पुरे भारतवर्ष में चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जनमोत्सव के रूप में मनाया जाता है । हनुमान जी बड़ा रामभक्त कोई नहीं है क्योकि जहा रामचरित मानस की कथा होती है वह पर हनुमान जी स्वयं आते और पूरी कथा का प्रेमभाव से श्रवण करते है ।
हनुमान जी के पैरों का सिंदूर अपने मस्तक पर लगाने से हमें हनुमान जी कृपा प्राप्त होती है और हनुमान जी को सवा मन रोटे का भोग अर्पित करने से भी हनुमान जी कृपा प्राप्त होती है । अस्ट सिद्धि नव निधि के दाता । माता जानकी द्वारा हनुमान जी को यह वरदान मिला हुवा है ।
।। जय श्री राम जय हनुमान ।।
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