शनि का सभी 12 लग्न में फलादेश : ज्योतिष और वास्तु विज्ञान

शनि का  हर एक लग्न के लिए अलग फलादेश होता है। यहां शनि के गोचर का लग्न के अनुसार फलादेश है:



1. मेष लग्न (Aries Ascendant): शनि अपनी दृष्टि से चतुर्थ भाव में होते हैं, जो कठिनाइयों का संकेत करता है, लेकिन अच्छी संघर्षशीलता और संघर्ष क्षमता देता है।

2. वृषभ लग्न (Taurus Ascendant): शनि लाभ स्थान में होते हैं, जिससे अर्थिक स्थिति में स्थिरता और धन प्राप्ति होती है।

3. मिथुन लग्न (Gemini Ascendant): शनि त्रिकोण भाव में होते हैं, जिससे विचारशीलता, शिक्षा, और करियर में स्थिरता मिलती है।

4. कर्क लग्न (Cancer Ascendant): शनि लाभ स्थान में होते हैं, जो व्यापार और करियर में सफलता और संसारिक यात्राओं का संकेत करता है।

5. सिंह लग्न (Leo Ascendant): शनि बारहवें भाव में होते हैं, जो संसारिक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।

6. कन्या लग्न (Virgo Ascendant): शनि लाभ स्थान में होते हैं, जिससे स्वास्थ्य, धन, और व्यापार में स्थिरता और सफलता मिलती है।

7. तुला लग्न (Libra Ascendant): शनि दृष्टि से चतुर्थ भाव में होते हैं, जो घर परिवार और धर्मिक संबंधों में संघर्षों का संकेत करता है।

8. वृश्चिक लग्न (Scorpio Ascendant): शनि बारहवें भाव में होते हैं, जो सामाजिक संघर्षों का संकेत करता है और संघर्षों के माध्यम से समृद्धि प्राप्ति कराता है।

9. धनु लग्न (Sagittarius Ascendant): शनि तृतीय भाव में होते हैं, जो शिक्षा, संस्कृति, और संघर्षों का संकेत करता है।

10. मकर लग्न (Capricorn Ascendant): शनि स्वाधीन भाव में होते हैं, जो संघर्षों के माध्यम से सफलता और प्रतिष्ठा प्राप्त कराता है।

11. कुंभ लग्न (Aquarius Ascendant): शनि लाभ स्थान में होते हैं, जो समृद्धि, नेतृत्व, और सामाजिक क्षेत्र में स्थिरता प्रदान करता है।

12. मीन लग्न (Pisces Ascendant): शनि त्रिकोण भाव में होते हैं, जो आध्यात्मिक विकास और अंतरात्मिक शक्ति की ओर अग्रसर करते हैं।

ये फलादेश लग्न के आधार पर शनि के गोचर का महत्व बताते हैं। 

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