दीपावली 2025 : लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

 


दीपावली 2025 : इस वर्ष दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 सोमवार के दिन मनाया जायेगा क्योकि दीपावली का पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता हैं । दीपावली के दिन भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। 


धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी जी का प्राकट्य हुवा था इसी कारन दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व है। दीपावली की पूजा विधि विधान के साथ शुभ मुहूर्त में ही करना श्रेष्ठ होता है जिससे पूजन कर्ता को धन की अधिष्ठात्री देवी माता लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी जी की पूजा पुरे विधि - विधान से सम्पन करने से घर में वर्ष पर्यन्त सुख - समृद्धि बनी रहती है एवं आर्थिक श्रोत में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहती है|

शास्त्रों में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए दीपावली की पूजा के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों में गृहस्थों के लिए प्रदोष काल में संध्या के समय स्थिर लग्न में पूजन करना उत्तम माना गया है। इससे सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। 

अन्य मतानुसार माता लक्ष्मी की पूजा करने वालों के लिए मध्य रात्रि का समय उत्तम कहा गया है। मध्य रात्रि में निशीथ काल में देवी लक्ष्मी की पूजा सभी प्रकार की कामना पूर्ण करने वाली मानी जाती है।

अमावस्या तिथि का प्रारम्भ एवं समापन :-    
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि इस वर्ष 20 अक्टूबर दोपहर 03:44 बजे से प्रारंभ होगी।

कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 
21 अक्टूबर शाम 05:54 बजे तक रहेगी

प्रदोष काल व स्थिर लग्न लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त 
लक्ष्मी-पूजन मुहूर्त (प्रदोष काल व स्थिर लग्न को ध्यान में रखते हुए) लगभग शाम 07:08 बजे से लेकर 08:18 बजे तक  है। 
वृषभ लग्न – 07:16 से 09:10 तक है।

स्थिर लग्न मुहूर्त

निशीथ काल का मुहूर्त रात्रि 11:39 बजे से रात्रि 12:30 बजे तक है।
सिंह लग्नरात्रि 01:19 से रात्रि 03:55 तक है।



दीपावली की पूजा पूजा विधि और पूजन सामग्री

कमल व गुलाब के फूल, पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, दूध, इत्र, खील, बताशे, मेवे, शहद, मिठाई, दही, गंगाजल, दीपक, रुई , कलावा, नारियल,तांबे का कलश, स्टील या चांदी का कलश, चांदी का सिक्का, आटा ,तेल,लौंग,लाल कपड़ा, घी, चौकी और एक थाली।

दीपावली की पूजा विधि


1. स्वच्छता एवं सजावट

पूजा से पहले पूरे घर को अच्छी तरह साफ करें, विशेषकर पूजा स्थल, मुख्य द्वार और तिजोरी के आसपास।

रंगोली बनायें और दीपक, मोमबत्तियाँ, वातिका (दीपों की व्यवस्था) तैयार रखें।

बहु दीपक  तथा गुलाब, लाल फूल या गूलर आदि सजावट में प्रयुक्त करें।



2. पूजा स्थान स्थापित करना

पूजा स्थल (मंदिर या घर का एक कोना) पर चटाई बिछायें।

सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर चावल, अक्षत (चावल + हल्दी), हल्दी, कुमकुम आदि पूजा सामग्री रखें।

लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

यदि यन्त्र (लक्ष्मी यन्त्र, श्री यन्त्र) हो, तो उसमें भी श्रद्धापूर्वक स्थान दें।



3. घृत मिश्रित दीपक एवं कलश

घी, तिल या नारियल तेल आदि से दीप जलने के लिए तैयार रखें।

कलश लाएं— उसमें जल, पवित्र जल और कुछ अक्षत मिश्रण रखें।

कलश पर पानपत्ता, आम पत्ता, अमृत कलश कवर आदि रखें यदि प्रथा हो।



4. पूजा सामग्री 
निम्न सामग्री सामान्यतः चाहिए होती है:

पुष्प (लाल फूल, माला)

धूप, कपूर, अगरबत्ती

अक्षत (गुड़हल चावल)

फल, मिठाई, प्रसाद

नैवेद्य (भोग) — मिठाई, नमकीन, फल और पंच मेवा (बादाम, काजू, अखरोट, अंजीर और किशमिश)आदि

हल्दी, कुमकुम, चंदन, गुलाब जल

दीप (मोटी मोमबत्ती, घी दीपक)

रोली, नारियल, चावल, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) आदि

पूजा थाली, घंटी, पूजा कलश आदि


2. पूजा-क्रिया (लक्ष्मी-पूजन क्रम)

नीचे पूजा का सामान्य क्रम है:

1. प्रारंभ मंत्र / गणेश वंदना

पूजा की शुरुआत गणेश जी की आवाहना से करें — “ॐ गण गणपतये नमः” आदि मंत्रोच्चारण।

गणेश जी को पुष्प, इत्र, अक्षत आदि देकर वंदना करें।



2. ध्यान एवं मूर्तिपूजन

लक्ष्मी जी की मूर्ति या तस्वीर के समक्ष ध्यान स्थिर करें।

हल्दी-कुमकुम, चंदन और अक्षत चढ़ाएं।

पुष्प मालाएँ अर्पित करें।

दीपक घृत या तेल से प्रज्वलित करें और मूर्ति के सामने दीप अर्पित करें।



3. मुख्य पूजन और मंत्र जाप

लक्ष्मी-गणेश को अरघ्य (जल, चावल-गुड़) अर्पित करें।

धूप-दीप-अगरबत्ती करें।

निम्नलिखित प्रमुख मंत्रो का जाप किया जाता है (संक्षिप्त) —

“ॐ श्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”

“ॐ नमो भगवति महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्”


यदि आपके परिवार या पंडित जी को अधिक विस्तृत स्तोत्र या पाठ ज्ञात हों, उन्हें भी करें।



4. नैवेद्य अर्पण तथा प्रसाद

फल, मिठाई, पका भोजन, पंच मेवा और पान आदि को नैवेद्य के रूप में अर्पित करें।

थोड़ी सी मिठाई या फल भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित करें।



5. आरती

दीप (दीपक) लेकर भगवान की आरती करें — “ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता…” आदि आरती  करें।



6. उपासना एवं प्रार्थना

श्लोक, स्तोत्र, शांति पाठ या श्रीसूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र आदि हो सके तो पाठ करें।

अपने परिवार, माता-पिता, जीवन-साथी, बच्चों तथा आने वाले वर्ष की सुख–समृद्धि की प्रार्थना करें।



7. दीपदान एवं दीप-प्रकाश

पूजा कार्य समाप्ति पर कई प्रकार के दीये (घर के बाहर, आँगन, छत) जलायें।

प्रवेश द्वार, खिड़कियाँ और छत पर दीपक लगायें ताकि घर रौशन हो।

सफेद दीपक, लाल दीपक या दीपों की श्रृंखला (मणी दीप) आदि जलानी चाहिए।


इस दिन कार्यक्षेत्र में तरक्की पाने के लिए स्थिर लग्न में श्रीसूक्त का पाठ करें। 

दीपावली पूजन के पश्चात अपने घर के सभी बड़े-बुजुर्गो का चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करे और अपने नजदीक के लक्ष्मीनारायण मंदिर में जरूर जाये और भगवान से वर्षभर की मंगल कामना की प्रार्थना अवश्य करे। 

परिवार के लोग आपस में एक दूसरे को दीपावली की सुभकामनाये दे और जो प्रसाद माता लक्ष्मी जी के अर्पण किया गया उसको स्वयं ग्रहण करे और वितरण करे।

     ।। जय श्री लक्ष्मीनारायण ।।  

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