मेष लग्न की कुंडली के योगकारक और मारक ग्रहो की जानकारी

नमस्कार मित्रो,

आज में आपको मेष लग्न की कुंडली के योगकारक और मारक ग्रहो की जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूँ 

मित्रो आपने सभी ने कभी कभी अपनी जन्म कुंडली का अवलोकन किया होगा और उसमें देखा होगा की आपकी कुंडली में पहले खाने या घर में कुछ नंबर लिखा होता हैं वो घर कुंडली का प्रथम घर यानि लग्न होता हैं

कुंडली का अध्ययन करने के लिये लग्न अति महत्वपूर्ण होता है तत्पश्चात चंद्रलग्न और सूर्यलग्न का महत्व है. यह लग्न क्या है? जातक के जन् समय पर पूर्वी क्षितिज में जो राशि उदय हो रही हो , उसे ही लग् कहते हैं. 24 घंटे में एक के पश्चात एक ये 12 ही लग्न आते हैं. और इन बारह लग् मे जो भी पूर्वी क्षितिज की उदय होती हुई राशि जन्म समय में होती है वही जातक का लग्न होता है. एक लग्न तकरीबन दो घंटे तक रहता है. जातक का जन् जिस लग् में हुआ होता है , उसी अनुरूप उसकी कुंडली के ग्रहों का अध्ययन करके उसके भावी जीवन के सभी संदर्भों के बारे में भविष्य वाणी की जा सकती है 

मनुष्य का जब जन्म होता है उस समय ग्रहो की स्तिथि या उस समय का गोचर ही हमारी जन्म कुंडली होती हैं और उसी जन्म कुंडली के आधार पर हमारा पूरा जीवन चक्र चलता हैं

जन्म कुंडली में लग्न का बड़ा महत्व होता हैं भचक्र की 12 राशियों के अनुसार 12 लग्न होते हैं

आज हम इसी लग्न आधारित जन्म कुंडली की बात करते हैं सभी की जन्म कुंडली के पहले घर में जो अंक राशि का लिखा होता हैं वह कुंडली उसी लग्न की कहलाती हैं उदहारण के तौर पर कुंडली के पहले घर में 1 नंबर लिखा हैं तो वह कुंडली मेष लग्न की कुंडली कहलायेगी

मंगल प्रथम एवम अष्टम भाव का स्वामी होता हुआ जातक के शरीर और जीवन का प्रतिनिधि होता है
मेष लग्न की कुंडली में लग्नेश मंगल होता है जो की 1 और 8 वे घर का मालिक होता है इसलिए मेष लग्न की कुंडली में मंगल योगकारक ग्रह कहलायेगा और मंगल इस कुंडली में कही पर भी बैठा हो उसके परिणाम सकारात्मक ही रहेंगे व् मंगल जातक के लिए सदैव हितकारी रहेगा

मेष लग्न की कुंडली में समस् जगत को प्रकाशमान रखने वाला सूर्य पंचम भाव का स्वामी बनता है एवम यह जातक की बुद्धि , ज्ञान और संतान का प्रतिनिधि होता है. मनुष्य भी अपनी बुद्धि, ज्ञान एवम समझ के बल पर या सुयोग् संतान के बल पर ही सारी दुनिया में रोशनी फैलाने में सक्षम होता हैं, जबकि बुद्धि एवम ज्ञान के अभाव में या अयोग् संतान समस्त दुनियां को दिशाहीन कर देती है. इसलिये इस भाव का मानव जीवन में अति महत्वपूर्ण स्थान होता है 

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य 5 वे घर का मालिक होने के कारण जातक को जीवनभर अछे परिणाम देता रहेगा  और जब मंगल और सूर्य की महादशा व् अंतर्दशा आयेगी तो बेहतर ही रहेगी क्योकि दोनों ही ग्रह ऊर्जावान हैं
मेष लग्न के जातक के लिए सूर्य उपासना सदैव हितकारी ही रहेगी क्योकि लग्न और पंचम में अतिमित्रता हैं
मेष लग्न के जातक के लिए रविवार का दिन शुभ रहेगा और भगवन सूर्य को जल अर्पित करना भी हितकारी होगा

मेष लग्न की कुंडली में मारक ग्रहो की बात करे तो शुक्र और बुध मेष लग्न की कुंडली में मारक ग्रहो में शामिल रहेंगे ये दोनों चाहे कही भी बैठे हो इनके परिणाम हमेशा नकारात्मक ही रहेंगे शुक्र दैत्यों के गुरु हैं और बुध के साथ इनकी मित्रता रहती है और शुक्र, मंगल व् सूर्य के शत्रु हैं इसलिए  इनकी महादशा व् अंतर्दशा भी ठीक नहीं जाएगी

मेष लग्न में सूर्य पंचमेश होता हैं इसलिए पंचमेश की कृपा जीवनभर जातक पर बनी रहेगी

मेष लग्न का जातक यदि सूर्य के बीज मंत्र का जाप करे तो उसके लिए अत्यंत लाभकारी रहेगा


             


                                                           
।।   जय श्री कृष्णा ।।

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ

  1. मीन लग्न की कुंडली मे मंगल 8वे भाव मे क्या प्रभाव देगा और क्या उपाय है

    जवाब देंहटाएं
  2. मीन लग्न की कुंडली मे मंगल 8वे भाव मे क्या प्रभाव देगा और क्या उपाय है

    जवाब देंहटाएं