नमस्कार मित्रो,
आज हम मिथुन लग्न की कुण्डली के योगकारक व् मारक ग्रहो के बारे में चर्चा करेंगे ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में बुध लग्नेश होता हैं बुध ग्रह मिथुन लग्न वालो के लिए योगकारक ग्रह होता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में दूसरे घर में कर्क राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति चन्द्र होते हैं चन्द्र बुध से शत्रुता रखता है अतः चन्द्र मिथुन लग्न की कुण्डली में मारक ग्रह बन जाते हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में तीसरे घर में सिंह राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति सूर्य होते हैं सुर्य की बुध से मित्रता होने के कारण सूर्य मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बन जाते हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में चौथे घर में कन्या राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति बुध होते हैं बुध लग्नेश से होने के कारण मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बना हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में पांचवे घर में तुला राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति शुक्र होते हैं शुक्र की बुध से मित्रता होने के कारण शुक्र मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बनता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में छ्ठे घर में वृश्च्कि राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति मंगल होते हैं मंगल की बुध से शत्रुता होने के कारण मंगल मिथुन लग्न की कुण्डली में मारक ग्रह बन जाता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में सातवें घर में धनु राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति बृहस्पति होते हैं बृहस्पति की बुध से मित्रता होने के कारण बृहस्पति मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बन जाता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में आंठवें घर में मकर राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति शनि होते हैं शनि की बुध से मित्रता होने के कारण शनि मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बन जाता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में नवम घर में कुंभ राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति भी शनि होते हैं शनि की बुध से मित्रता होने के कारण शनि मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बन जाता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में दसवें घर में मीन राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति बृहस्पति होते हैं बृहस्पति की बुध से मित्रता होने के कारण बृहस्पति मिथुन लग्न की कुण्डली में योगकारक ग्रह बन जाता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में इग्यारवे घर में मेष राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति मंगल होते हैं मंगल की बुध से शत्रुता होने के कारण मंगल मिथुन लग्न की कुण्डली में मारक ग्रह बन जाता हैं ।
मिथुन लग्न की कुण्डली में बारहवे घर में वृषभ राशि विधमान होती हैं जिसके अधिपति शुक्र होते हैं शुक्र की बुध से मित्रता होने के कारण शुक्र मिथुन लग्न की कुण्डली में सर्वाधिक योगकारक ग्रह बन जाता हैं ।
मित्रो, मैंने आपको मिथुन लग्न की कुण्डली के सभी बारह घरो की रशिया और उनके अधिपति ग्रहों के बारे में ज्योतिषीय जानकारी दी है और लग्नेश बुध के साथ उनकी मित्रता व् शत्रुता का भी विवेचन किया हैं जिससे की मिथुन लग्न की कुण्डली के जातकों को अपनी कुण्डली के योग कारक एवं मारक ग्रहों की जानकारी मिल सके ।
जैसे की मै पहले भी बता चुका हूं कि योगकारक ग्रह आपकी कुण्डली में कही पर भी बैठें हो आपको हमेशा सकारात्मक परिणाम ही देंगे और आपको जीवन में उन्नति की ओर अग्रसर करेगे जबकि मारक ग्रह इसके विपरीत परिणाम देंगे आपकी उन्नति में रूकावट पैदा करेंगे ।
योगकारक ग्रहो की पूजा अर्चना मंत्र जाप आदि से अधिक सुभ फल की प्राप्ति होती हैं एवं मारक ग्रहो के दान आदि करने से उनकी मारक क्षमता को कम किया जा सकता हैं
।। जय श्री कृष्णा ।।
7 टिप्पणियाँ
NAMSKSKAAR. M MITHUN LAGN OR MEEN RASSHI KA JAATAK HU. 4 HOUSE JUPITOR OR MARS KETU, AND 5 HOUSE SUN, BUDH AND 7 HOUSE SHUKRA,PLS ADVICE
जवाब देंहटाएंdear sir pranam
जवाब देंहटाएंhope u r doing well..sir my dob is 12/08/1981 at 08:35 AM morning in bareilly UP..sir please tell me what is best gems combination for wealth and fame sucess for me..i would be obliged to you
regards
bhupendra
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हटाएं7th House in astrology is marak bhav and the loard of the house is consider as a marak grah. In my opinion for mithun lagan jupiter is mark grah.
जवाब देंहटाएंAgr Mithun lagan ki kundali me 7bhav me surya ho toh kasa prabhav rheta hai bteye jldi
जवाब देंहटाएंApko ptni se nhi bnega.partner kolekr presani rhegi.
हटाएंमिथुन लग्न कुंडली मै देव गुरु कारक ग्रह किस प्रकार हुए श्रीमान सातवे और दसवें घर मै गुरु देव स्वम विराजमान है तो यहां तो केंद्र अधिपति दोष भी लग रहा है प्रभु तो ये कारक हुए या मारक?
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