मिथुन लग्न में शनि देव का प्रभाव


नमस्कार मित्रो,

आज हम मिथुन लग्न में शनि देव के प्रभाव के विषय में विवेचन करेंगे

 मिथुन लग्न में शनि महाराज अष्टम और नवम घर के मालिक होते है मिथुन लग्न की कुण्डली के अष्टम भाव या घर में 10 नंबर और नवम भाव या घर में 11 नंबर अंकित होता हैं जिसका अर्थ यह होता हैं कि अष्टम  भाव में मकर राशि स्तिथ होती हैं और नवम भाव में कुम्भ राशि स्तिथ होती हैं

मकर और कुम्भ इन दोनों राशियों के अधिपति शनिदेव होते है मिथुन लग्न में बुध लग्नेश होता है शनिदेव के बुध मित्र होते हैं अतः मिथुन लग्न में बुध द्वारा शनिदेव को भाग्य स्थान का आधिपत्य दिया गया है इसलिए मिथुन लग्न में शनि भाग्येश हो कर अति महत्वपूर्ण योगकारक ग्रह की भूमिका निभाता हैं




मिथुन लग्न के जातक की कुण्डली में शनि महाराज का आशीर्वाद हमेशा जातक के साथ रहेगा बशर्ते जातक बुरे कर्म करे यदि बुरे कर्मों में लिप्त रहेगा तो शनि जो की न्यायप्रिय होते है उसके पापकर्म का दण्ड भी शनि ही निर्धारित करेंगे

मिथुन लग्न द्विस्वभाव की राशि होती है अर्थात मिथुन लग्न के जातकों का स्वाभाव दो प्रकार का होता है मिथुन राशि के प्रतीक चिन्ह पर नज़र डालने पर हमें पुरुष और स्त्री दोनों की छवि दिखाई देती है इसलिए इस राशि या लग्न के जातको का स्वाभाव भी द्विस्वभाव होता है




मिथुन लग्न की कुण्डली में यदि लग्न में शनि विराजमान हो तो नवम भाव अपना पूर्ण प्रभाव दिखता हैं जातक का भाग्योदय शनि के द्वारा ही होता है क्योंकि मिथुन लग्न में शनि भाग्येश होता है

नीलम रत्न शनि का रत्न होता हैं यदि मिथुन लग्न में शनि लग्न में होतो नीलम धारण करने से भाग्य का साथ जातक को मिलता हैं और उसके सभी कार्यो में आशातीत सफलता प्राप्त होती हैं

शनि का रत्न धारण करने से पहले अपनी जन्म कुण्डली का विवेचन किसी योग्य ज्योतिषी से कराना चाहिये और उसके दिए गए परामर्श के अनुसार ही रत्न धारण करना चाहिये क्योकि नीलम रत्न अलग प्रकार का रत्न होता है इसलिये इसे धारण करने से पहले कुण्डली का उचित विवेचन व् परामर्श आवश्यक होता हैं

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मन्त्र साधना सर्वोपरि है क्योकि मन्त्र से देवता या ग्रह जल्दी प्रसन होते है जबकि देवता या ग्रह  का दान करना और रत्न धारण करना आदि के परिणाम मिलने में काफी समय लगता है

किस ग्रह  का क्या क्या दान करना चाहिए कौनसे रत्न कौनसे ग्रह से सम्बंधित होते है इस विषय पर आने वाली लेखमालाओ में आपको विस्तृत जानकारी दी जाएगी


                                                               ।।  जय श्री कृष्ण ।।

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