नमस्कार दोस्तों
वास्तु पुरुष की उत्पत्ति :- मत्स्यपुराण के अनुसार एक बार देवताओ और राक्षसों में भयंकर युद्ध हुवा देवताओ की तरफ से भगवन शंकर और राक्षसों की तरफ से अंधक दैत्य नाम के असुर के बीच में कई दिनो तक लगातार युद्ध चला भगवान शंकर और राक्षस अंधक दोनों के पसीने की बूंदे एक साथ भूमि पर गिरी जिसके फलस्वरूप एक विशाल भीमकाय पुरुष उत्पन हुवा जिसे देख कर भगवान शंकर और राक्षस अंधक दोनों आश्चर्य में पड़ गए उसी समय विश्वकर्मा जी वह प्रकट हुवे विश्वकर्मा जी ने भगवान शंकर और राक्षस अंधक दोनों की आपस में संधि करवाई और उस विशाल भीमकाय पुरुष का नाम वास्तु रखा और उसे अपने साथ ले गए तथा राक्षस अंधक को भगवान शंकर की सेवा में सौप दिया
कुछ समय पश्चात वास्तु ने तीनो लोको में भयंकर हाहाकार मचा दिया तब सभी देवताओ ने मिलकर उस वास्तु पुरुष को भूमि पर उल्टे मुँह गिरा दिया उसके बाद विश्वकर्मा जी ने वास्तु को वरदान दिया कि तुम्हारी पूजा किये बिना आवास निर्माण किया जायेगा तो वह सफल नहीं होगा और जो तुम्हारी पूजा करके आवास निर्माण कराये,गृह प्रवेश करेगा उसे मंगल और अभय प्राप्त होगा
1 टिप्पणियाँ
महोदय उक्त कथा सन्दर्भित प्रतीत नहीं हो रही। वस्तुतः शिव के स्वेदज कण से वास्तु पुरुष की उत्पत्ति का सन्दर्भ प्राप्त होता है।
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