नमस्कार दोस्तों,
आज की लेखमाला में हम देव गुरु बृहस्पति के बारे में सामान्य जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करेंगे।
1 ऋग्वेद के अनुसार देव गुरु बृहस्पति को अंगिरस ऋषि का पुत्र माना जाता है।
2 ऋग्वेद में देव गुरु बृहस्पति की तीन पत्नियो का उल्लेख मिलता है। जिनके नाम क्रमशः सुभा, तारा और ममता है। ममता के दो पुत्र हुवे जिनमे ऋषि भरद्वाज विद्वान और सर्वगुण सम्पन ख्याति प्राप्त ऋषि हुवे इनके नाम पर गोत्र का प्रतिपादन हुवा भरद्वाज गोत्र के सभी ब्राह्मण इनके वंशज कहलाते है।
3 ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चन्द्रमा और मंगल. देव गुरु बृहस्पति के मित्र ग्रह कहलाते है। और बुध, देव गुरु बृहस्पति का शत्रु होता है। वही पर दंडाधिकारी शनि, देव गुरु बृहस्पति के साथ सम भाव रखता है।
4 देव गुरु बृहस्पति कर्क राशि में उच्च होता है वही मकर राशि में नीच का हो जाता है।
5 देव गुरु बृहस्पति के तीन मूल नक्षत्र होते है जो क्रमशः विशाखा, पुनर्वसु और पूर्वाभाद्रपद है।
6 देव गुरु बृहस्पति उच्च वाला जातक सामान्य से अधिक मोटा होता है।
7 देव गुरु बृहस्पति का मधुमेह रोग से सीधा सम्बन्ध होता है क्यों की जातक के शरीर में, देव गुरु बृहस्पति का अधिकार पेट पर होता है। पेट के भीतर जितनी भी ग्रंथिया होती है उन पर, देव गुरु बृहस्पति का अधिपत्य होने के कारण पेट सम्बंधित रोग का कारक, देव गुरु बृहस्पति होते है। जिनमे मधुमेह एक असाध्य रोग है।
8 देव गुरु बृहस्पति की प्रसनता प्राप्त करने के लिए, देव गुरु बृहस्पति की पूजा और आराधना करनी चाहिए ।जिनसे पेट सम्बन्धी विकारो से मुक्ति मिल सके इसके अलावा, देव गुरु बृहस्पति की पूजा और आराधना जातक के विकारो और पापो का शमन भी करती है।
9 देव गुरु बृहस्पति की यदि भक्ति भावना से पूजा की जाये तो, देव गुरु बृहस्पति जातक को पल भर में राजेन्द्र भी बना सकते है अर्थात जातक देव गुरु बृहस्पति की कृपा से किसी विशिष्ट पद का अधिकारी भी बन सकता है। ऐसी शक्तियाँ केवल, देव गुरु बृहस्पति के पास ही होती है क्योकि देव गुरु बृहस्पति ने भगवान शिव की अखण्ड तपस्या करके यह वरदान प्राप्त किया हुवा है की वे जिसको चाहे उसे पल में राजेन्द्र बना सकते है।
10 देव गुरु बृहस्पति की प्रसनता के लिए पीला वस्त्र, पीला पुखराज, धातु में सुवर्ण और दिशाओ में पूर्व दिशा विशेष है।
।। जय श्री कृष्ण ।।
1 ऋग्वेद के अनुसार देव गुरु बृहस्पति को अंगिरस ऋषि का पुत्र माना जाता है।
2 ऋग्वेद में देव गुरु बृहस्पति की तीन पत्नियो का उल्लेख मिलता है। जिनके नाम क्रमशः सुभा, तारा और ममता है। ममता के दो पुत्र हुवे जिनमे ऋषि भरद्वाज विद्वान और सर्वगुण सम्पन ख्याति प्राप्त ऋषि हुवे इनके नाम पर गोत्र का प्रतिपादन हुवा भरद्वाज गोत्र के सभी ब्राह्मण इनके वंशज कहलाते है।
3 ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चन्द्रमा और मंगल. देव गुरु बृहस्पति के मित्र ग्रह कहलाते है। और बुध, देव गुरु बृहस्पति का शत्रु होता है। वही पर दंडाधिकारी शनि, देव गुरु बृहस्पति के साथ सम भाव रखता है।
4 देव गुरु बृहस्पति कर्क राशि में उच्च होता है वही मकर राशि में नीच का हो जाता है।
5 देव गुरु बृहस्पति के तीन मूल नक्षत्र होते है जो क्रमशः विशाखा, पुनर्वसु और पूर्वाभाद्रपद है।
6 देव गुरु बृहस्पति उच्च वाला जातक सामान्य से अधिक मोटा होता है।
7 देव गुरु बृहस्पति का मधुमेह रोग से सीधा सम्बन्ध होता है क्यों की जातक के शरीर में, देव गुरु बृहस्पति का अधिकार पेट पर होता है। पेट के भीतर जितनी भी ग्रंथिया होती है उन पर, देव गुरु बृहस्पति का अधिपत्य होने के कारण पेट सम्बंधित रोग का कारक, देव गुरु बृहस्पति होते है। जिनमे मधुमेह एक असाध्य रोग है।
8 देव गुरु बृहस्पति की प्रसनता प्राप्त करने के लिए, देव गुरु बृहस्पति की पूजा और आराधना करनी चाहिए ।जिनसे पेट सम्बन्धी विकारो से मुक्ति मिल सके इसके अलावा, देव गुरु बृहस्पति की पूजा और आराधना जातक के विकारो और पापो का शमन भी करती है।
9 देव गुरु बृहस्पति की यदि भक्ति भावना से पूजा की जाये तो, देव गुरु बृहस्पति जातक को पल भर में राजेन्द्र भी बना सकते है अर्थात जातक देव गुरु बृहस्पति की कृपा से किसी विशिष्ट पद का अधिकारी भी बन सकता है। ऐसी शक्तियाँ केवल, देव गुरु बृहस्पति के पास ही होती है क्योकि देव गुरु बृहस्पति ने भगवान शिव की अखण्ड तपस्या करके यह वरदान प्राप्त किया हुवा है की वे जिसको चाहे उसे पल में राजेन्द्र बना सकते है।
10 देव गुरु बृहस्पति की प्रसनता के लिए पीला वस्त्र, पीला पुखराज, धातु में सुवर्ण और दिशाओ में पूर्व दिशा विशेष है।
।। जय श्री कृष्ण ।।
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