कालसर्प दोष क्या है
कुंडली के सारे ग्रह, सूर्य, चन्द्र, गुरू, शुक्र, मंगल, बुध तथा शनि जब राहू और केतु के बीच में आ जाएं तो ऐसी कुंडली में काल सर्प दोष बनता है।
उदाहरण के तौर पर अगर राहू और केतु किसी कुंडली में क्रमश: दूसरे और आठवें भाव में स्थित हों तथा बाकी के सात ग्रह दो से आठ के बीच या आठ से दो के बीच में स्थित हों तो प्रचलित परिभाषा के अनुसार ऐसी कुंडली में काल सर्प दोष बनता है|
इतना हि नही, अगर कोई एक ग्रह राहु-केतु के चंगुल से बाहर दूसरी ओर आ जाता है उस स्थिति में भी आंशिक कालसर्प दोष माना जाता है| और ऐसी कुंडली वाला व्यक्ति अपने जीवन काल में तरह-तरह की मुसीबतों का सामना करता है तथा उसके किए हुए अधिकतर प्रयासों का उसे कोई भी लाभ नहीं मिलता।
किस भाव में कौन सी राशि अवस्थित है और उसमें कौन-कौन ग्रह कहां बैठे हैं और उनका बलाबल कितना है - इन सब बातों का भी संबंधित जातक पर भरपूर असर पड़ता है।
परंतु याद रहे, कालसर्प योग वाले सभी जातकों पर इस योग का समान प्रभाव नहीं पड़ता।
इसलिए मात्र कालसर्प योग सुनकर भयभीत हो जाने की जरूरत नहीं बल्कि उसका ज्योतिषीय विश्लेषण करवाकर उसके प्रभावों की विस्तृत जानकारी हासिल कर लेना ही बुद्धिमत्ता कही जायेगी। जब असली कारण ज्योतिषीय विश्लेषण से स्पष्ट हो जाये तो तत्काल उसका उपाय करना चाहिए।
राज ज्योतिष आचार्य रामदेव
1 टिप्पणियाँ
कालसर्प प्रकार, दोष, निवारण के बारे में बताने के लिए आपका धन्यवाद, बहुत अच्छा और महत्वपूर्ण जानकारी है। कालसर्प दोष से मुक्ति हेतु लाइव रुद्राभिषेक पूजा, सिर्फ दर्शन मात्रा से कट जाता है कालसर्प योग दोष. कालसर्प दोष के बारे मे और जानिये https://kalsarppujatrimbakeshwar.blogspot.com/2021/09/kaal-sarp-dosh-nivaran-puja.html
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