नमस्कार मित्रो,
25 दिसम्बर 2020 को मोक्षदा एवं गीता जयंती एकादशी हैं।
आइये इसके व्रत के माहात्म्य के बारे में जानते है ।
मार्गशीष सुक्ला एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता हैं । इसी को गीता जयंती एकादशी भी कहा जाता है।
इस एकादशी की कथा सर्वप्रथम भगवन श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठर को अपने श्री मुख से सुनाई थी ।
कथा इस प्रकार हैं
एक बार एक अत्यंत धर्मात्मा राजा था जिसके राज्य में सभी लोग सुख पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे राजा भी पूर्णरूप से अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर रहा था ।
एक रात राजा का पिता उसके स्वप्न में आता है और उसे बताता है कि वह घोर नरक में पड़ा हुवा हैं और राजा से नरक
मुक्ति की प्रार्थना करता हैं ।
राजा स्वप्न की बात को लेकर चिंतित रहने लगता हैं और कही भी किसी भी कार्य में उसका मन नहीं लगता हैं उसके दरबार में विद्वान ब्राह्मण भी थे जो राजा के व्यवहार से यह जान चुके थे की राजा को कोई चिंता सता रही है और जल्दी ही इसका निवारण भी आवश्यक हैं ।
सभी विद्वान ब्राह्मणों ने राजा से चिंता का कारण पूछा तो राजाने स्वप्न वाली बात सभी को बताई और साथी इसका निवारण भी खोजने को कहा और यह भी कहा कि उस पुत्र का जीवन व्यर्थ जो अपने माता पिता का उद्धार न कर सके ।
एक उत्तम पुत्र वहीँ होता हैं जो अपने माता पिता तथा पूर्वजो का उद्धार करता है ।
विद्वान ब्राह्मण राजा को पर्वत ऋषि के आश्रम ले गए ऋषि ने अपनी योगविद्या से राजा के पिता के पापकर्मो को पता लगाया और उन्ही पापकर्मो से उन्हें नरक भोगना पड़ रहा है यह भी बताया कि अब तुम ही उन्हें इस नर्क से मुक्ति दिला सकते हो ।राजा ने ऋषि के सरणागत होकर मुक्ति का उपाय पूछा तो ऋषि ने बताया कि मार्गशीष की सुक्ला एकादशी का व्रत तुम्हारे पिता को नरक से मुक्ति दिला सकता हैं तुम नियम पूर्वक यह
व्रत करो तुम्हारा एवं तुम्हारे पिता का कल्याण होगा ।
ऋषि के बताये अनुसार राजा ने मार्गशीष सुक्ला एकादशी का नियम पूर्वक व्रत किया ।
उसी रात राजा का पिता फिर राजा के स्वप्न में आया और राजासे बोला की तुमने मोक्षदा एकादशी का व्रत करके मुझे नर्क
यातना से मुक्त कर दिया हैं अब में स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर
रहा हु तुम मेरे उत्तम पुत्र हो तुम्हारा कल्याण हो ।
मार्गशीष सुक्ला एकादशी का जो व्रत करते हैं उनके व् उनके पूर्वजो के सारे पापकर्म नष्ट हो जाते हैं और उन्हें जीवनभर किये हुवे पापकर्मो से मुक्ति मिल जाती हैं ।
इस कथा को पढ़ने और सुनने मात्र से ही करोड़ो वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है और उनकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं ।
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