ज्योतिष शास्त्र में बुध का क्या महत्त्व होता है आज हम इस विषय का विवेचन इस लेखमाला में करने का प्रयास करेंगे ।
1 भारतीय ज्योतिष शास्त्रों में बुध को व्यापार और बुद्धि का कारक माना गया है यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी होता है ।
2 बुध जातक के दांतो, तंत्रिका तंत्र और गर्दन आदि पर अपना पूर्ण प्रभाव डालता है ।
3 बुध, सूर्य और शुक्र का परम मित्र है यदि किसी जातक की कुण्डली में इन तीनो का शुभ संयोग हो तो वह जातक अनुसन्धान कर्ता, ऐश्वर्यशाली और आत्मबली जीवन जीता है ।
4 बुध और चंद्र आपस में परम शत्रु भाव रखते है जिस जातक की कुण्डली में ये दोनों एक साथ हो तो नेष्ट फल ही रहता है ।
5 बुध तीन नक्षत्रो का स्वामी होता है जिनमे अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र आदि है ।
6 बुध, सूर्य का मित्र ग्रह है और सूर्य के बिलकुल करीब ही रहता है जहा यह दोनों एक साथ होते है वह जातक और जातक का पिता दोनों ही ज्ञानी होते है ।
7 बुध को हरा रंग धातु में पीतल और रत्नो में पन्ना रत्न विशेष प्रिय होता है ।
8 बुध के प्रभाव से जातक लेखक बनता है और बुध का गहरा प्रभाव जातक को यात्राएँ भी अधिक करवाता है ।
9 यदि किसी जातक के षस्टम भाव में बुध होता हे तो वह जातक बुध की कृपा से उच्च कोटि का वक्ता और लेखन कार्य में ख्याति प्राप्त करता है। उसे हमेशा चांदी के आभूषण ही धारण करने चाहिए ।
10 बुध कन्या राशि में उच्च बली और मीन राशि में नीच कमज़ोर होता है ।
11 बुध मंदा हो उनको बुधवार का व्रत करना चाहिए एवं प्रत्येक बुधवार को गणेश जी को मोदक पान सहित अर्पित करना चाहिए एवं यथाशक्ति दुर्गा पाठ भी करना चाहिए ।
12 पंचम भाव का बुध जातक को ज्योतिष शास्त्र का ज्ञाता बनता ।
मित्रो उपरोक्त वर्णित लेख में बुध और उसके साथी ग्रहो के बारे में जानकारी दी साथ ही बुध ग्रह जातक पर क्या प्रभाव डालता है और विशेषकर पंचम और षस्टम भाव की स्तिथि को भी स्पस्ट किया है आशा करता हु की यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी ।
।। जय श्री कृष्ण ।।
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