रक्षा बंधन की विधि, कथा और मुहूर्त

रक्षा बंधन की विधि कथा और मुहूर्त







रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र, संपन्‍नता और खुशहाली की कामना करती हैं. वहीं भाई अपनी बहन को कपड़े, गहने, पैसे, तोहफे या कोई भी भेंट देकर उनकी रक्षा का वचन देते हैं ।

रक्षाबंधन के दिन अपने भाई को इस तरह राखी बांधें

सबसे पहले राखी की थाली सजाएं. इस थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, पीली सरसों के बीज, दीपक और राखी रखें ।

इसके बाद भाई को तिलक लगाकर उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी कि राखी बांधें ।

राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें फिर भाई को मिठाई खिलाएं ।

अगर भाई आपसे बड़ा है तो चरण स्‍पर्श कर उसका आशीर्वाद लें ।

अगर बहन बड़ी हो तो भाई को चरण स्‍पर्श करना चाहिए ।

राखी बांधने के बाद भाइयों को इच्‍छा और सामर्थ्‍य के अनुसार बहनों को भेंट देनी चाहिए ।

ब्राह्मण या पंडित जी भी अपने यजमान की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं ।

ऐसा करते वक्‍त इस मंत्र का उच्‍चारण करना चाहिए:-

ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

पुरातन काल की रक्षा बंधन की कथा

असुरों के राजा बलि ने अपने बल और पराक्रम से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था । राजा बलि के आधिपत्‍य को देखकर इंद्र देवता घबराकर भगवान विष्‍णु के पास मदद मांगने पहुंचे । भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए । वामन भगवान ने बलि से तीन पग भूमि मांगी । पहले और दूसरे पग में भगवान ने धरती और आकाश को नाप लिया । अब तीसरा पग रखने के लिए कुछ बचा नहीं थी तो राजा बलि ने कहा कि तीसरा पग उनके सिर पर रख दें ।

भगवान वामन ने ऐसा ही किया । इस तरह देवताओं की चिंता खत्‍म हो गई । वहीं भगवान राजा बलि के दान-धर्म से बहुत प्रसन्‍न हुए । उन्‍होंने राजा बलि से वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल में बसने का वर मांग लिया । बलि की इच्‍छा पूर्ति के लिए भगवान को पाताल जाना पड़ा । भगवान विष्‍णु के पाताल जाने के बाद सभी देवतागण और माता लक्ष्‍मी चिंतित हो गए । अपने पति भगवान विष्‍णु को वापस लाने के लिए माता लक्ष्‍मी गरीब स्‍त्री बनकर राजा बलि के पास पहुंची और उन्‍हें अपना भाई बनाकर राखी बांध दी । बदले में भगवान विष्‍णु को पाताल लोक से वापस ले जाने का वचन ले लिया । उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी और मान्‍यता है कि तभी से  रक्षाबंधन मनाया जाने लगा ।  

इस दिन पंडित और ब्राह्मण पुरानी जनेऊ का त्‍याग कर नई जनेऊ पहनते हैं । इसलिए इस पर्व को श्रावणी पर्व भी कहते हैं ।

रक्षा बंधन का समय:
26 अगस्त 2018 को सुबह 5 बजकर 59 मिनट से शाम 5 बजकर 25 मिनट तक ।

पूर्णिमा तिथि का समय :
25 अगस्त 2018 को दोपहर 03 बजकर 16 मिनट से 26 अगस्त 2018 शाम 05 बजकर 25 मिनट तक पूर्णिमा रहेगी ।



                                                      ।। जय श्री कृष्ण ।।

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