दीपावली की पूजा विधि

नमस्कार मित्रो ,

इस ब्लॉग के सभी पाठक गणो को भारतवर्ष के महान पर्व दीपावली की हार्दिक सुभकामनाये 


आज 07 नवम्बर 2018  कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है। सभी अमावस्या तिथियों में कार्तिक की अमावस्या सबसे काली और घनेरी होती है क्योकि  इस रात माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों की झोलियां भरती हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के स्वागत में दीपों की माला सजाकर भक्त उनकी पूजा करते हैं।

शस्त्रों में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए दीपावली की पूजा के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। इन नियमों में गृहस्थों के लिए प्रदोष काल में संध्या के समय स्थिर लग्न में पूजन करना उत्तम माना गया है। इससे सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। 

अन्य मतानुसार  माता लक्ष्मी की पूजा करने वालों के लिए मध्य रात्रि का समय उत्तम कहा गया है। मध्य रात्रि में निशीथ काल में देवी लक्ष्मी की पूजा सभी प्रकार की कामना पूर्ण करने वाली मानी जाती है।

दीपावली पूजन का सुभ मुहूर्त :-    पंचांग की गणना के अनुसार 7 नवंबर की शाम 6 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 30 मिनट तक वृष लग्न, स्वाति नक्षत्र रहेगा। इस दौरान महालक्ष्मी की पूजा करना शुभ सौभाग्यदायकर रहेगा।

चौघड़िया के गणना से दीपावली के शाम में सात बजकर 10 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक शुभ योग है। रात 8 बजकर 51 मिनट से रात 10 बजकर 32 मिनट तक अमृत योग रहेगा। शाम 4 बजकर 10 मिनट से शाम 5 बजकर 30 मिनट तक लाभ योग रहेगा। घर में सुख समृद्धि के लिए गृहस्थजन 7 बजकर 10 मिनट से रात 8 बजे के बीच पूजा करें।

दीपावली की पूजा पूजा विधि और  पूजन सामग्री

कमल व गुलब के फूल, पान का पत्ता, रोली, केसर, चावल, सुपारी, फल, फूल, दूध, इत्र, खील, बताशे, मेवे, शहद, मिठाई, दही, गंगाजल, दीपक, रुई , कलावा, नारियल,तांबे का कलश, स्टील या चांदी का कलश, चांदी का सिक्का, आटा,तेल,लौंग,लाल कपड़ा, घी चौकी और एक थाली।

दीपावली की पूजा विधि


चौकी को साफ करने के बाद आटे की मदद से चौकी पर नवग्रह यंत्र बनाएं। स्टील के कलश में दूध, दही, शहद,गंगाजल, लौंग इत्यादि भरकर उस पर लाल कपड़ा बांध दें और उसके ऊपर नारियल विराजित कर दें। नवग्रह यंत्र पर चांदी का सिक्का रखें और लक्ष्मी-गणपति की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर गंगाजल से स्नान कराएं। रोली और अक्षत से टीका करें।

इस दिन कार्यक्षेत्र में तरक्की पाने के लिए स्थिर लग्न में श्रीसूक्त का पाठ करें। इस पूजा में गणपति और लक्ष्मीजी के साथ भगवान विष्णु की स्थापना जरूर करें। श्रीहरि को लक्ष्मीजी के दाहिनी तरफ विराजित करें। इस दिन लक्ष्मी माता को कौड़ी और गोमती चक्र के साथ ही शंख और मोती अर्पित करने से मां की असीम कृपा प्राप्त होती है।

दीपावली पूजन के पश्चात अपने घर के सभी बड़े -बुजुर्गो का चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करे और अपने नजदीक के लक्ष्मीनारायण मंदिर में जरूर जाये और भगवान से वर्षभर की मंगल कामना की प्रार्थना अवश्य करे। 

परिवार के लोग आपस में एक दूसरे को दीपावली की सुभकामनाये दे और जो प्रसाद माता लक्ष्मी के अर्पण किया गया उसको  स्वयं ग्रहण करे। 

                              जय श्री लक्ष्मीनारायण ।  



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