नमस्कार दोस्तों
वास्तु और नवग्रहों का आपसी समायोजन काफी महत्वपूर्ण होता है यदि मकान का वास्तु नवग्रहों के अनुसार समायोजित किया जाये तो उसके परिणाम अच्छे मिलते है वास्तु और नवग्रहों का आपसी समायोजन कैसे करेंगे इसकी जानकारी पर प्रकाश डाल रहा हूँ।
1 सूर्य ग्रह और वास्तु :- सूर्य एक ऊर्जा का स्रोत है एवम यह हमारा मनोबल,आयु बढ़ाता है अतः पूर्वी उत्तरी भाग निचा रखना चाहिये मकान की ढलान उत्तर पूर्व की ओर होनी सुभ कारक रहती है सूर्य की रौशनी आपके मकान में यथासंभव आनी चाहिये
2 चन्द्र ग्रह और वास्तु :- चंद्रमा मन का कारक ग्रह है एवम शीतलता प्रदान करने वाला ग्रह है चंद्रमा सुक्ल पक्ष की दशमी तिथी से कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथी तक विशेष बलवान होता है अतः पूर्व से उत्तर का क्षेत्र चंद्रमा की शीतलता का स्थान होता है तो उस स्थान पर सदैव जल संसाधन ही रखना श्रेयकर एवम सुभ रहता है।
3 मंगल ग्रह और वास्तु :- मंगल ग्रह को सेनापति ग्रह माना जाता है अतः मंगल ग्रह शौर्य का कारक ग्रह होता है हमारे प्राचीन ग्रन्थों में मंगल को भूमि पुत्र की संज्ञा भी दी गई है इसलिए सुभ वास्तु पूर्ण मकान बनाने के लिए दक्छिण दिशा को उचा एवम भारी रखे।
4 बुध ग्रह और वास्तु :- बुध ग्रह मस्तिष्क और स्नायुमण्डल का कारक ग्रह होता है मस्तिष्क और स्नायुमण्डल के स्वास्थ्य के लिए बुध की दिशा अनुसार निर्माण कार्य करवाना हितकर रहता है अतः अपने घर में पूजा का स्थान हमेशा ईशान दिशा में ही रखना चाहिए।
5 बृहस्पति ग्रह और वास्तु :- बृहस्पति ग्रह उत्तर दिशा का अधिपति एवम बुद्धि, धन और संतान को देनेवाला ग्रह है अतः इस स्थान पर सुद्ध एवम सात्विक वस्तुएँ रखी जाये तो अधिक सुभफल की प्राप्ति होती है और इस क्षेत्र को अधिकतर खुला रखना भी सुभफल देता हैं मकान निर्माण में यह भी ध्यान रखना चाहिये की यह क्षेत्र दक्छिण से नीचा होना लाभकारी रहता है।
6 शुक्र ग्रह और वास्तु :- शुक्र ग्रह सुख सम्पदा,वैभव का कारक ग्रह होता है यह पूर्व दिशा का मालिक होता है अतः शुक्र ग्रह के सभी लाभ पाने के लिए पूर्वी भाग को खुला रखे और वह पर बाग बगीचा आदि लगाना हितकारी रहता है।
7 शनि ग्रह और वास्तु :- शनि मंद गति से चलने वाला कुशाग्र बुद्धि रखने वाला भौतिक सभयता प्रदान करने वाला ग्रह है यह पश्चिम दिशा का मालिक होता है अतः पश्चिम दिशा में दरवाजे व खिड़किया कम मात्रा में ही रखना हितकारी होता है।
8 राहु ग्रह और वास्तु :- राहु एक छाया ग्रह है यह नैऋत्य दिशा का मालिक होता है और इसकी भार सहन करने की क्षमता भी अधिक होती है इसलिए नैऋत्य दिशा में भारी निर्माण करना हितकारी होता है।
9 केतु ग्रह और वास्तु :- केतु तेज स्वाभाव वाला ग्रह होता है वायव्य दिशा का मालिक होता है इसलिए निर्माण के समय वायव्य कोण को ऊँचा रखें जिससे सुभफल की प्राप्ति अधिक होगी।
दोस्तों उपरोक्त वर्णित जानकारी कैसी लगी और इस जानकारी से आप अपने मकान को वास्तु समत बना सकते है और अपने जीवन में सुखद आनंद की अनुभूति कर सकते है आप से विनम्र अनुरोध करता हूँ की मेरे इस ब्लॉग पर दी गयी जानकारी अन्य लोगो तक भी पहुचाने की कृपा करे जिसके फलस्वरूप सभी को परम आनंद की अनुभूति हो सके अतः इस जानकारी को अन्य लोगो से साँझा करे जिससे सभी को लाभ मिल सके।
।। जय श्री कृष्णा ।।
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