शनि की वक्र चाल - धनु राशि में 11 मई से 29 सितम्बर 2020 तक

कर्म फल प्रदाता न्यायधीश शनि 11 मई 2020 से अपनी चाल बदलकर वक्री हो कर धनु राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।

इसका सभी राशियों पर क्या प्रभाव होगा इस का विवेचन इस लेखमाला में प्रस्तुत किया जा रहा है।

यह प्रभाव आपके लग्न के अनुसार होगा ।


मेष लग्न :- इस काल में  मेष लग्न के जातकों का भाग्य प्रबल होगा। आय अधिक और व्यय कम होगा।

वृषभ लग्न : - इस काल में शनि आपके भाग्य स्थान को प्रबल करके पैतृक सम्पति और घरेलु सुख सुविधाओं में वृद्धि करेंगे।

मिथुन लग्न :- मिथुन लग्न के जातकों को शनि की ढैया से मुक्ति मिलेगी और सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी परंतु स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी हो सकती है।

कर्क लग्न :- इस काल के दौरान अपने परिवार के सदस्यों के साथ अपने सम्बन्ध मधुर बनाये रखने होंगे जिससे लाभ की संभावनाएं उत्पन होगी।

सिंह लग्न :-  इस काल में शनि पंचम भाव को प्रबलता प्रदान करेंगे जिससे सुभ प्रभावों में वृद्धि होगी।

कन्या लग्न :- इस काल में शनि आपके केंद्र में चतुर्थ भाव में विराजमान होंगे और उनकी सातवी दृष्टि कर्म भाव पर होगी जिससे कर्म का उचित फल प्राप्त होगा।

तुला लग्न :- वैसे तो तुला लग्न में शनि सदैव उच्च का होता है परन्तु इस वक्र काल में रोग भाव में विराजमान होने से स्वास्थ्य में परेशानी का कारण बन सकता है।

वृश्चिक लग्न :- वृश्चिक लग्न वाले जातकों के लिए साढ़ेसाती के अन्तिम चरण की सुरुआत होगी फिर भी समय समय पर धन आगमन भी होता रहेगा।

धनु लग्न :- धनु लग्न के जातकों के लिए पूर्ण सुख समृद्धि का समय रहेगा क्योंकि आपके लग्न में शनि विराजमान होने जा रहे है इसलिए मनचाही सफलता प्रदान होगी।

मकर लग्न:- इस काल के दौरान शनि आपके सप्तम भाव पर दृष्टि डालेगा इसलिए अपनी पत्नी से मधुर संबंधों से ही फायदा होगा।

कुम्भ लग्न:- इस काल में शनि आपके लाभ स्थान में विराजमान होने जा रहे हैं जो आपके लिए लाभकारी परिस्थितियां पैदा करेंगे।

मीन लग्न:- इस काल में शनि आपके केन्द्रस्थ होकर सुखद अनुभूति प्रदान करेंगे।

ऊपर दी गई शनि के वक्र काल की जानकारी केवल आपके लग्न के अनुसार प्रभावित होगी। आप अपना लग्न जानकार ही फलादेश देखे।

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